सिर्फ़ सन्नाटा सुलगता है यहाँ साँझ ढले

सिर्फ़ सन्नाटा सुलगता है यहाँ साँझ ढले ताज़गी बख्श दे ऐसा कोई झोंका तो चले   गाँव के मीठे कुएँ पाट दिए क्यों हमने इसका एहसास हुआ प्यास से जब होंठ जले   यूँ तो हर मोड़ पे मिलने को मिले लोग बहुत धूप क्या तेज़ हुई साथ सभी छोड़ चले   आँख में चुभने … Continue reading सिर्फ़ सन्नाटा सुलगता है यहाँ साँझ ढले